दीपदान ( "आओ फिर दीपक जलाएं" )
दीपदान
"आओ फिर दीपक जलाएं"
आओ फिर ;दीपक जलाएं ,
घने तिमिर के; आगोश में, ‘रोशनी की क्रांति लाएं’ |
घर-गली, गांव-देश ; जगमगाए,
आओ फिर ;दीपक जलाएं ||
मन का दीया, आशा की बाती,
संकल्प - शक्ति का तेल मिलाएं
तपस्या की, अग्नि से; ज्ञान ज्योति प्रज्वलित कराएं ,
आओ फिर दीपक जलाएं ||
“नकारात्मकता -उदासीनता” ‘कीट-पतंग भांति जल जाए ,
जात पात को छोड़कर, देश हित में कदम उठाएं,
विश्व गुरु थे!!! विश्व गुरु हैं!!! “विश्व समक्ष प्रेरणा बन जाए” ,
आओ फिर दीपक जलाएं ||
यह है:, प्रश्नचिन्ह मानव जाति पर ,
‘काल’ आ पहुंचा है, ‘ अब दर पर ,
सत्कर्म की “दीप-पुंज” से महाकाल को मनाए
आओ फिर दीपक जलाएं ||
‘रात्रि अंधकार की’ , जब तक न ढल जाए,
‘आपदा की घड़ियां’ ,जब तक न टल जाए ,
पालन करें नियमों का, “स्वयं’ को “सशक्त-सफल” बनाएं
आओ फिर ,दीपक जलाएं ||